गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि एनआरसी डाटा सुरक्षित है। क्लाउड पर कुछ तकनीकी मुद्दे देखे गए। इन्हें जल्द ही हल किया जा रहा है। कुछ दिनों के लिए डाटा उपलब्ध नहीं था और इससे जनता, खासतौर से उन लोगों में असमंजस की स्थिति बन गई, जिन्हें सूची से बाहर रखा गया है क्योंकि उन्हें सूची से बाहर किए जाने का प्रमाणपत्र अभी जारी नहीं किया गया है।
एनआरसी के राज्य संयोजक हितेश देव शर्मा ने माना कि डेटा ऑफलाइन हो गया है, लेकिन उन्होंने इसके पीछे किसी तरह की दुर्भावना के आरोप को खारिज किया। बड़े पैमाने पर डाटा के लिए क्लाउड सेवा आईटी कंपनी विप्रो ने मुहैया कराई थी और उनका अनुबंध पिछले साल 19 अक्टूबर तक का था। बहरहाल, पूर्व संयोजक ने इस अनुबंध का नवीनीकरण नहीं किया।
शर्मा ने बताया कि इसलिए विप्रो द्वारा निलंबित किए जाने के बाद 15 दिसंबर से डाटा ऑफलाइन हो गया था। उन्होंने बताया कि राज्य संयोजक समिति ने 30 जनवरी को अपनी बैठक में आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने का फैसला किया और फरवरी के पहले सप्ताह के दौरान विप्रो को पत्र लिखा।
शर्मा ने कहा कि एक बार जब विप्रो डाटा को ऑनलाइन कर देगी तो यह जनता के लिए उपलब्ध होगा। हमें उम्मीद है कि लोगों को अगले दो-तीन दिनों में डाटा उपलब्ध हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अक्तूबर में रजिस्टर में शामिल और रजिस्टर से बाहर सभी नागरिकों की पूरी जानकारी http://www.nrcassam.nic.in पर अपलोड की गई थी। इस पूरी लिस्ट में रजिस्टर में शामिल 3.11 करोड़ लोगों के साथ-साथ रजिस्टर से बाहर 19.06 लाख लोगों की भी पूरी जानकारी थी।
एनआरसी की आधिकारिक वेबसाइट से सूची गायब होने की अफवाह
नआरसी की आधिकारिक वेबसाइट पर असम एनआरसी की सूची नहीं दिख रही है। एनआरसी की अंतिम सूची का डाटा उसकी आधिकारिक वेबसाइट से ऑफलाइन हो गया है। इस मामले में गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि एनआरसी का डाटा पूरी तरह सुरक्षित है। क्लाउड स्पेस में कुछ तकनीकी समस्या की वजह से सूची नहीं दिख रही है। जल्द ही इसका समाधान किया जाएगा।